असम में 600 साल तक शासन करने वाले अहोम वंश की ऐतिहासिक विरासत पर अब विवाद खड़ा हो गया है। वजह है कक्षा 8 की NCERT इतिहास की किताब, जिसमें इस राजवंश के इतिहास को लेकर कई तथ्यों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
असम के सांसद का आरोप “इतिहास तोड़ा-मरोड़ा गया”
जोरहाट के सांसद गौरव गोगोई, जो खुद अहोम समुदाय से आते हैं, ने बुधवार को कहा कि नई संशोधित NCERT किताब में इस राजवंश के बारे में “गंभीर गलतियां” की गई हैं। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से तुरंत इन त्रुटियों को सुधारने की मांग की।
असली विवाद कहां है?
किताब के “Tribes, Nomads and Settled Communities” नामक चैप्टर में लिखा गया है कि अहोम लोग म्यांमार से आए थे।
लेकिन गोगोई के मुताबिक, शोध यह साबित करता है कि उनका मूलस्थान मंग माओ था, जो वर्तमान में युन्नान, चीन में स्थित एक ताई शासन क्षेत्र था।
अहोम साम्राज्य: एक संक्षिप्त इतिहास और उनकी महान उपलब्धियां
अहोम साम्राज्य भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम का एक गौरवशाली और प्रभावशाली राजवंश था, जिसने लगभग 600 साल (1228 से 1826 ई.) तक इस क्षेत्र पर शासन किया। इस साम्राज्य की स्थापना सुकाफा नामक एक ताई राजकुमार ने की थी, जो मूल रूप से म्यांमार (बर्मा) के मोंग माओ राज्य से आए थे।
अहोम शासन की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों, खासकर मुगलों, को कई बार हराया और अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी। उनकी प्रशासनिक नीतियां, कृषि सुधार, और सांस्कृतिक एकीकरण की सोच ने असम को समृद्ध और सुरक्षित बनाया।
‘पाइक सिस्टम’ को जबरन मज़दूरी बताना गलत
पुस्तक में पाइक सिस्टम को “फोर्स्ड लेबर” यानी जबरन मज़दूरी बताया गया है। गोगोई का कहना है कि यह असल में एक रोटेशनल प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था थी, जिसमें सेवा के बदले भूमि और सामाजिक गतिशीलता मिलती थी।
1663 की संधि को ‘हार’ बताना भ्रामक
किताब में 1663 की घिलाजारीघाट संधि को अहोमों की हार के रूप में पेश किया गया है। गोगोई के अनुसार, यह सच नहीं है। यह एक रणनीतिक समझौता था, जिसके बाद मुगलों को असम से खदेड़ दिया गया।
अहम बातें छोड़ दी गईं
गोगोई ने कहा कि किताब में खेळ प्रशासनिक प्रणाली, रंग घर, तलातल घर और अहोम वंश की असमिया पहचान बनाने में भूमिका जैसी अहम बातें शामिल ही नहीं हैं।
उनका मानना है कि इन omissions से पूरी ऐतिहासिक कहानी अधूरी और कमजोर हो जाती है।
सरकार से क्या मांग है?
गोगोई ने शिक्षा मंत्रालय से आग्रह किया कि इस चैप्टर को लिखते समय असम के इतिहासकारों और विशेषज्ञों से राय ली जाए, ताकि अहोम वंश का इतिहास सही और सम्मानजनक तरीके से प्रस्तुत हो सके.
रोचक तथ्य
- अहोम लोग अपने राजाओं के अंतिम संस्कार में मोइ-दाम नामक विशेष मकबरे बनाते थे, जो आज भी ऐतिहासिक धरोहर हैं।
- उनका युद्ध कौशल और रणनीति इतनी मजबूत थी कि मुगलों को भी ब्रह्मपुत्र के किनारे हार माननी पड़ी।
- अहोम शासन के दौरान असम में पाआल नामक एक अनोखी सामुदायिक सेवा प्रणाली थी, जिसमें लोग मिलकर राज्य के काम करते थे।