नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025 — किताबें पढ़ने का शौक रखने वालों के लिए यह खबर चौंकाने वाली है। जम्मू-कश्मीर गृह विभाग ने हाल ही में 25 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार का कहना है कि इन किताबों में “अलगाववादी सामग्री”, ग़लत जानकारी फैलाने, उग्रवाद को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय संप्रभुता को कमजोर करने वाले अंश पाए गए हैं।
इन बैन की गई किताबों में पत्रकार अनुराधा भसीन की A Dismantled State: The Untold Story of Kashmir After Article 370 शामिल हैं। इसके अलावा, संविधान विशेषज्ञ ए.जी. नूरानी की The Kashmir Dispute 1947-2012, सुमंत्रा बोस की Kashmir at the Crossroads और Contested Lands, तथा डेविड देवदास की In Search of a Future: The Kashmir Story भी इस सूची में हैं।
यह फैसला नए भारतीय दंड संहिता और नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत लिया गया। इस कदम के बाद देशभर में फिर से सेंसरशिप बनाम अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बहस छिड़ गई है। वैसे, भारत में यह पहली बार नहीं है जब किताबों को धार्मिक भावनाएं आहत करने, इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने के आरोप में बैन किया गया हो। आइए जानते हैं कुछ मशहूर किताबों के बारे में जो आज़ाद भारत में बैन हुईं —
1. Rama Retold – Aubrey Menen
1954 में आई ब्रिटिश लेखक ऑब्रे मेनन की यह किताब आज़ाद भारत में बैन होने वाली पहली पुस्तक बनी। इसमें रामायण की कहानी को व्यंग्यात्मक अंदाज में दोबारा लिखा गया था, जिसमें राम, सीता और रावण जैसे पात्रों को पारंपरिक सोच से अलग तरीके से पेश किया गया। 1955 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने धार्मिक भावनाएं भड़कने और साम्प्रदायिक तनाव की आशंका के चलते इस किताब के आयात पर रोक लगा दी।
2. An Area of Darkness – वी.एस. नायपॉल
1964 में आई नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक वी.एस. नायपॉल की यह किताब 1962 के भारत दौरे के अनुभवों पर आधारित है। इसमें गरीबी, नौकरशाही और सामाजिक मुद्दों पर कड़ी आलोचना की गई थी। सरकार ने इसे भारत की नकारात्मक छवि पेश करने का आरोप लगाकर बैन किया। हालांकि, बाद में इसे फिर से पब्लिश किया गया और अब यह अमेज़न पर उपलब्ध है।
3. The Satanic Verses – सलमान रुश्दी
1988 में राजीव गांधी सरकार ने इस किताब पर रोक लगाई, क्योंकि दुनियाभर में कई मुस्लिम संगठनों ने इसे ईशनिंदा बताया। इस पर इतना विवाद हुआ कि ईरान के धार्मिक नेता ने रुश्दी की हत्या तक का फ़तवा जारी कर दिया। दशकों बाद, 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने केस खत्म कर दिया क्योंकि कोई आधिकारिक बैन नोटिफिकेशन पेश नहीं किया जा सका।
4. The Da Vinci Code – डैन ब्राउन
2006 में नगालैंड सरकार ने इस चर्चित थ्रिलर पर रोक लगा दी। ईसाई समूहों ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। किताब और उस पर बनी फिल्म दोनों ने भारी विवाद खड़ा किया। फिल्म को भारत में Adults Only सर्टिफिकेट और एक डिस्क्लेमर के साथ रिलीज़ किया गया।
5. The Adivasi Will Not Dance – हंसदा सोवेंद्र शेखर
2015 में आई इस शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन को 2017 में झारखंड सरकार ने अस्थायी रूप से बैन कर दिया, आरोप था कि इसमें संथाल महिलाओं को नकारात्मक रूप से दर्शाया गया। चार महीने बाद समीक्षा के बाद बैन हटा लिया गया।
6. The Complexity Called Manipur – ब्रिगेडियर सुशील कुमार शर्मा
2022 में मणिपुर सरकार ने इस किताब पर बैन लगाया। इसमें दावा किया गया था कि मणिपुर रियासत के भारत में विलय के समय, उसका क्षेत्र आज के पूरे राज्य जितना बड़ा नहीं था। सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए खतरा बताते हुए सभी प्रतियां जब्त करने का आदेश दिया।
7. नए बैन – जम्मू-कश्मीर में 25 किताबें
ताज़ा घटनाक्रम में, जम्मू-कश्मीर में जिन किताबों पर प्रतिबंध लगा है, उनमें अरुंधति रॉय और अनुराधा भसीन की चर्चित किताबें भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि यह फैसला देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए ज़रूरी था।
इन घटनाओं से साफ है कि भारत में किताबें केवल साहित्यिक कारणों से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता के चलते भी बैन हो सकती हैं। यह बहस जारी है कि क्या ऐसे प्रतिबंध वास्तव में समाज की रक्षा करते हैं या फिर यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करते हैं।